Shani amavasya 2018
शनि जयंती Shani amavasya इंग्लिश कैलेंडरके हिसाब से इस बार 15 मई को है. और शनि जयंती हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या को मनाई जाती है| यह उत्सव शनि देव के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है, क्योंकी इसी दिन शनि देव का जन्म हुआ था| इस दिन शनि देवके क्रोध से बचने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए उनकी पूजा का विधान है| शास्त्रों के अनुसार शनि जयंती पर उनकी पूजा-आराधना और अनुष्ठान करने से शनिदेव विशिष्ट फल प्रदान करते हैं|शनि अमावस्या शनि जयंती के 2 दिन बाद आती है. और इस बार शनि अमावस्या इस बार 17 मई को है| इस दिन शनि अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव सभी को अभय प्रदान करते हैं।
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Shani amavasya in hindi
Shani amavasya जिन्ह की kundli में शनि का प्रभाव रहता है या जिन्हें जीवन में परेशानी रहती है, उनके लिए ग्रह की शांति के लिए सामान्य उपाय बता रहे है|और यह उपाय अगर शनि अमावस्या के दिन किया जाए तो शीघ्र लाभ मिलता है। अमावस के दिन जो की 17 मई को है एक किलो उड़द की दाल का आटा, दो किलो गुड़, आधा किलो काले तिल, सरसों का तेल चढ़ाए| या फिर आटे को तेल में भून कर गुड़ व तिल मिला दें। शनिदेव के मंदिर में इसका भोग लगा कर वापस ले आएं। रोज इसमें से प्रसाद निकाल कर चींटियों को डालें। और आगर आप अमावस पर जरूरतमंद को आता दान देते है| तो पुनिय की प्राप्ति होती है| पूजा पाठ करे और इस मंत्र का जाप करे ओम् त्रयम्बकम् यजामहे, सुगान्धिम् पुष्टि वर्धनम। उर्वारुक मिवबन्धनान्, मृर्त्योमोक्षीय मामुतात्।।
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Shani amavasya 2018: शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि
शनि अमावस्या Shani amavasya के दिन पूजन का ये है शुभ मुहूर्त, जानें पूजा विधि सुबह का पूजन , शनि अमावस्या Shani amavasya का मुहुर्त – शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले उठकर शनिदेव का ध्यान करें क्यों की शनि देव सूर्य देव के पुत्र थे| ऐसा करने के बाद जल पात्र में गुड़ और तिल डालकर उसे पीपल के वृक्ष को अर्पित करें और सरसों के तेल में दिया जलाएं| इसके बाद अपनी मनोकामना को मन में ध्यान करते हुए पीपल के वृक्ष की परिक्रमा लगाए | इस से आपकी मनोकामना जल्दी पूरी होगी | 17 मार्च 2018 को पड़ रही शनि अमावस्या के दिन शाम 6:13 मिनट से शाम 7:13 मिनट तक शुभ मुहूर्त है| इस वक्त में आप शनि देव को प्रसन्न कर शनि दोष से मुक्ति पा सकते हैं|
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विशेष पूजन विधि Shani amavasaya pooja vidhi
शनि अमावस्या Shani amavasya के दिन विशेष पूजन, स्नान, उपाय कर के शनिं देव का इस दिन विशेष पूजन का विधान है| इस दिन घर की पश्चिम दिशा में काले कपड़े पर शनिदेव की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित करें| शनिदेव की सच्चे मन से आराधना करते हुए सरसों के तेल का दीपक जलाएं| पीपल के पत्ते चढ़ाएं| शनिश्चरी अमावस्या के इस पूजन में तिल और काजल चढ़ाएं और साथ ही काली गाय को कुछ न कुछ मीठा खिलाए|जो लोग शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति है| वो दान करें और उन्हें शनि यंत्र धारण करना चाहिए और काले वस्त्र पर नारियल को तेल लगाकर, काला तिल, उड़द की दाल, घी जैसी वस्तुओं का दान करना चाहिए|
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Shani amavasya daan
शनि के निर्णय के अनुसार ही सभी ग्रह को उन के करम अनुशार फल मिलता हैं। न्यायाधीश होने के नाते शनि dev करम अनुशार लोगो को फल देता है| सुख और दुख शनि देव के हाथ में है, वह तो मात्र कर्मों के आधार पर ही जीव को फल देते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार अमावस्या शनि को अधिक प्रिय रहती है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष हो उन्हें इस दिन दान इत्यादि कर्म करने चाहिए। संस्कृति में अमावस्या का विशेष महत्व है. और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका मतलब सोने पर सुहागा होना है| शनि अमावस्या के दिन संकटों के समाधान के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन शनि की साधना करने से मनचाहा फल की प्राप्ति होती है|
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shani pittardosh dosh upay पितृदोष से मुक्ति के लिए
जन्म कुंडली में पितृदोष है तो , Shani amavasya अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करें। इसके बाद उसी के किनारे बैठकर पितरों के निमित्त पिंड दान, तर्पण किसी पंडित के माध्यम से करवाएं। पितृदोष तब लगता है जब अपने पूर्वजों की कोई इच्छा अधूरी रह जाती है, या उनका उत्तर कर्म ठीक से नहीं हो पाता है। ऐसे में पितरों के नाम से उनकी पसंद की वस्तुओं का दान भी किया जाता है। अपनी श्रद्धानुसार गरीबों को भोजन, वस्त्र, कंबल, चप्पल, छाते आदि भेंट करें।
kalsarp dosh कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए
जन्म कुंडली में कालसर्प दोष है, तो Shani amavasya अमावस्या के दिन प्रातः स्नान करके अपने पूजा स्थान में बैठकर पितृ स्तोत्र का पाठ करें। इसके बाद शिव मंदिर में जाकर कच्चा दूध, गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। वहीं बैठकर महामृत्युंजय मंत्र की एक या पांच माला जाप करें। किसी ऐसे शिवलिंग पर तांबे या पीतल का सर्प लगवाएं जहां लगा हुआ नहीं हो। शाम के समय पीपल के वृक्ष में कच्चा दूध चढ़ाकर उसके नीचे आटे के पांच दीपक लगाएं। इससे काफी हद तक कालसर्प दोष की शांति होती है। उसके क्रूर प्रभाव कम होते हैं।
राशी फल के अनुसार करे उपाय
राशि के अनुसार शनि का प्रभाव शनि अमावस्या Shani amavasya पर- मेष: शनि अमावस्या के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर और स्नान के बाद शनि देव की पूजा आराधन के साथ सरसों के तेल का चार बत्ती वाला दीपक जलाएं। इसके बाद आसन पर बैठकर शनिदेव के मंत्र का जाप करे। फिर एक कम्बल या कपड़ा एक ऐसे व्यक्ति को दान दे जो आपके सपने में ज्यादा दिखाए देता हो| यह कलश किसी बुजुर्ग व्यक्ति को दान दें। किसी जरूरतमंद व्यक्ति को काले कंबल का दान दें।
- ghode ki naal से बनी रिंग को भी अपनी ऊँगली मे पहने
- शनि का शनि यन्त्र धारण कर ले
- घोड़े की नाल का भी प्रयोग करे।
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वृषभ: शनि अमावस्या Shani amavasya के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर और स्नान के बाद शनि मंदिर जा कर सरसों का तेल दान करे| वहा शनि चालीसा का जाप करे और आसन पर बैठकर शनिदेव का ध्यान करें| इसके बाद पीपल के वृक्ष में कच्चा दूध अर्पित कर, उसके नीचे घी का दीपक जलाएं। किसी गरीब को तील का दान करे जिससे आपके सरे संकट का नाश हो जाएगा| मिथुन: राशी वाले भी ऐसा ही करे बस ध्यान रहे अगर आपके जीवन में संकट का तूफान आ रहा है तो शनि देव का यन्त्र घर जरुर ले आए|
कुंभ: शनि अमावस्या Shani amavasya के दिन काले कपड़े में सवा किलो काले उड़द बांधकर पोटली बनाएं। इसे अपने पूजा स्थान में रखें। शनिदेव का ध्यान करें और यह किसी गौशाला या मंदिर में दान दें। साथ ही गौशाला में गायों को चारा खिलाने का प्रबंध करवाएं। मीन: मीन राशि के जातक शनैश्चरी अमावस्या के दिन सवा लीटर सरसो का तेल स्टील के पात्र में भरकर शनि मंदिर में दान करें। गरीबों को पीले रंग के नमकीन चावल बनाकर खिलाएं। अपनी श्रद्धा के अनुसार भिखारियों को वस्त्र भेंट करें।
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