Radha Ashtami 2018 Monday, 17 September
Radha Ashtami राधा अष्टमी पुरे भारत देश में मशुर है. इस की चर्चा पूरा भारत करता है. वैसे तो यह पुरे भारत देश में मनाया जाता है लेकिन इस को जो देखने का मजा है वो मथुरा में है लोग दूर दूर से दर्शन के लिए और कार्य करम देखने आते है. यह राधा अष्टमी Radha Ashtami भाद्र पद माह की शुक्ल अष्टमी को राधाष्टमी Radha Ashtami के नाम से मनाई जाती है. पुराण के अनुसार राधा जी राजा वृषभानु की पुत्री थीं और उन्ह की माता का नाम कीर्ति था. कथानुसार व् पुरानो के अनुसार एक बार जब राजा वृषभानु यज्ञ के लिए भूमि की सफाई कर रहे थे तब उनको भूमि पर कन्या के रूप में राधा जी मिलीं. जिसे उन्हों ने अपनी पुत्री मानकर उन का पालन किया. जैसे की वो उन की स्वयं की पुत्री हो.
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Radha Ashtami barsana राधा अष्टमी History
Radha Ashtami राधा जी जब बड़ी हुई तो उन्हें कृष्ण से प्रेम हो गया लेकिन उन के भाग्य में कुछ और ही लिखा था. राधा जी का विवाह रापाण नामक व्यक्ति के साथ सम्पन्न हुआ. पुराणों के अनुसार यह सच है की राधा जी माँ लक्ष्मी की अवतार थी। जब कृष्ण जी द्वापर युग में जन्म लिया तो माँ लक्ष्मी जी भी राधा रूप में प्रकट हुई थी। राधाष्टमी Radha Ashtami उनके जन्मस्थान रावल के साथ-साथ वृन्दावन में राधा दामोदर मंदिर, राधा श्याम सुन्दर मंदिर, कृष्ण-बलराम मंदिर और राधा रमण मंदिर में तथा मांट में राधारानी मंदिर में बडें धूमधाम से मनायी जाती है। इस दिन कई जगह मेले और रथयाञा का आयोजन किया जाता है, मथुरा सहित पूरे ब्रज में वातावरण राधामय हो जाता है।
Janmashtami 2018 महालक्ष्मी की व्रत कथा और पूजन विधि
कृष्ण जन्माष्टमी Radha Ashtami के पूरे 15 दिन श्री राधारानी का जन्म मथुरा के पास रावल बांगड़ गांव में हुुआ था, अगर आप जन्माष्टमी व्रत रखते हैं तो आपको राधाष्टमी का व्रत भी रखना चाहिये तभी जन्माष्टमी व्रत का पुण्य मिलता है। अगर आप इस व्रत को रखते हैं तो महालक्ष्मी प्रसन्न होती है, इसलिये इस व्रत को महालक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है, राधाष्टमी Radha Ashtami के दिन से यह व्रत सोलह दिनों तक चलता है। इस व्रत में धन की देवी मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
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यह दिवस कब मनाया जाता है? When is Radha Ashtami 2018 date
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी Radha Ashtami भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी मनाई जाती है। और आपको बता दे की यह इस वर्ष मंगलवार 17 सितम्बर 2018 को राधाष्टमी Radha Ashtami मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। यह व्रत खास कर माँ लक्ष्मी को प्रशन करने के लिए किया जाता है. और माँ का आशीर्वाद लेने के लिए यह व्रत बहुत ही जरुरी होता है. अगर आप भी माँ लक्ष्मी को प्रशन करना चाहते है तो इस दिन यह व्रत जरुर करे क्यों की जो भी व्यक्ति इस दिन मन से व्रत करता है माँ उसे मनचाहा वरदान देती है.आइये जानते है इस से जुड़े और उपाय..
राधाष्टमी पूजन | Radha Ashtami Worship poojan vidhi
Janmastmi Radha Ashtami के दिन शुद्ध मन से व्रत करना होता है क्यों की इस व्रत में बिलकुल भी अशुधि नही चलती. हर एक चीज का ध्यान रखना होता है. इस व्रत में राधाजी की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराते हैं स्नान कराने के पश्चात उनका श्रृंगार किया जाता है. बिलकुल एक धुलहन की तरह राधा जी की सोने या किसी अन्य धातु से बनी हुई सुंदर मूर्ति को विग्रह में स्थापित करते हैं. मध्यान्ह के समय श्रद्धा तथा भक्ति से राधाजी की आराधना कि जाती है. धूप-दीप से पूजन की जाती है और अंत में भोग लगाया जाता है. इस दिन मंदिरों में 27 पेड़ों की पत्तियों और 27 ही कुंओं का जल इकठ्ठा करना और भी अधिक शुभ माना गया है.
ब्रज और बरसाना में राधाष्टमी | Radha Ashtami in Braj and Barsana
जन्माष्टमी बड़े त्यौहार के रूप में मनाई जाती है. वृंदावन में यह उत्सव बडे़ ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. जानते है मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, रावल और मांट के राधा रानी मंदिरों इस दिन को उत्सव के किस रुप में मनाया जाता है? वृन्दावन के ‘राधा बल्लभ मंदिर’ में राधा जन्म की खुशी में गोस्वामी समाज के लोग भक्ति में झूम उठते हैं. इतना आनंद त्यौहार पुरे भारत देश की जनता को हरण कर देता है. यहाँ भक्ति और वहा माँ के दर्शन अतिउतम होते है. वह झूमने लगते हैं और नृत्य करने लगते हैं. राधाजी के भोग के लिए मंदिर के पट बन्द होने के बाद, बधाई गायन के होता है. इसके बाद दर्शन खुलते ही दधिकाना शुरु हो जाता है.
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राधाष्टमी महत्व | Importance of Radha Ashtami
वेद तथा पुराणादि में राशाजी का ‘कृष्ण वल्लभा’ कहकर गुणगान किया गया है, वही कृष्णप्रिया हैं. राधाजन्माष्टमी Radha Ashtami कथा का श्रवण करने से भक्त सुखी, धनी और सर्वगुणसंपन्न बनता है, भक्तिपूर्वक श्री राधाजी का मंत्र जाप एवं स्मरण मोक्ष प्रदान करता है. श्रीमद देवी भागवत श्री राधा जी कि पूजा की अनिवार्यता का निरूपण करते हुए कहा है कि श्री राधा की पूजा न की जाए तो भक्त श्री कृष्ण की पूजा का अधिकार भी नहीं रखता. श्री राधा भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी मानी गई हैं.