Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशी
Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशी भाद्रपद की शुक्ल चतुर्दशी को मनाया जाता है. और इस दिन पूजा विधान नियम से भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है। अनन्त चतुर्दशी के दिन गणपति जी को भी पूजा जाता है गणपति-विसर्जन भी होता है. यह लगातार 10 दिन के गणेश-उत्सव का समापन दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. इस ही दिन भगवान गणपति की प्रतिमा जिसे लोग 10 दिन तक पूजा करते है और अपने घर लाते है उसका इस दिन विसर्जन को किसी बहते जल वाली नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित किया जाता है, जिसे गणेश चतुर्थी को स्थापित किया गया होता है.
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Chaturdashi Vrat Katha in Hindi, Story
एक युग में प्राचीन काल में सुमंत नाम का एक ब्राम्हण था, जो बहुत विद्वान और उसकी पत्नी धार्मिक स्त्री थी. उसका नाम दीक्षा था सुमंत और दीक्षा की एक संस्कारी पुत्री थी जिसका नाम सुशीला था. सुशीला के बड़े होते होते उसकी माँ दीक्षा का स्वर्गवास हो गया. सुशीला छोटी थी उसकी परवरिश को ध्यान में रखते हुए सुमंत ने कर्कशा नामक स्त्री से दूसरा विवाह किया. कुछ समय बाद जब सुशीला विवाह योग्य हुई तो उसका विवाह कौण्डिन्य ऋषि के साथ किया गया. कौण्डिन्य ऋषि और सुशीला अपने माता पिता के साथ उसी आश्रम में रहने लगे. माता कर्कशा का स्वभाव अच्छा ना होने के कारण सुशीला और उनके पति कौण्डिन्य को आश्रम छोड़ कर जाना पड़ा.
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कौंडिन्य ऋषि दुखी हो अपनी पत्नी को लेकर अपने आश्रम की ओर चल दिए. परंतु रास्ते में ही रात हो गई. वे नदी तट पर संध्या करने लगे. सुशीला के पूछने पर उन्होंने विधिपूर्वक अनंत व्रत की महत्ता बताई. सुशीला ने वहीं उस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला डोरा हाथ में बांध कर ऋषि कौंडिन्य के पास आ गई. कौंडिन्य ने सुशीला से डोरे के बारे में पूछा तो उसने सारी बात बता दी. उन्होंने डोरे को तोड़ कर अग्नि में डाल दिया, इससे भगवान अनंत जी का अपमान हुआ. परिणामत: ऋषि कौंडिन्य दुखी रहने लगे. सारी सम्पत्ति नष्ट हो गई. इस दरिद्रता का उन्होंने अपनी पत्नी से कारण पूछा तो सुशीला ने Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशीभगवान का डोरा जलाने की बात कहीं.
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अनंत चतुर्दशी का महत्व | Importance of Anant Chaturdashi
Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशी भगवान विष्णु का बहुत बड़ा दिन माना गया है और ऐसी मान्यता भी है इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत किया जाता है और इस दिन व्रत करने वाला व्रती यदि विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्रम् का पाठ भी करता है तो उसकी वांछित मनोकामना की पूर्ति जरूर होती है. और भगवान श्री हरि विष्णु उस प्रार्थना करने वाले व्रती पर प्रसन्न हाेकर उसे सुख, संपदा, धन-धान्य, यश-वैभव, लक्ष्मी, पुत्र आदि सभी प्रकार के सुख प्रदान करते हैं। इया दिन हर किसी को व्रत करना चाइये और पाठ करना चाइये इस दिन भगवान विष्णु का आशीर्वाद तो मिलता है साथ ही गणेश जी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है.
चतुर्दशी अनंत व्रत विधि | Anant Chaturdashi Puja Vidhi
यह व्रत के कुछ नियम है जो अगर अप इस प्रकार करते है तो आपको और अधिक लाभ मिलता है. इस दिन व्रती प्रातः काल स्नान कर कलश की स्थापना कर कलश पर अष्टदल कमल के समान बने बर्तन में कुश से निर्मित Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशी की स्थापना करना चाहिए और फिर शास्त्रानुसार भगवान अनंत के साथ भगवान विष्णु और गणेश जी का आवाहन कर उनकी पूजा करनी चाहिए। अनंत चतुर्दशी का पर्व हिंदू हिन्दुओं के साथ- साथ जैन समाज के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। जैन धर्म के दशलक्षण पर्व का इस दिन समापन होता है। जैन अनुयायी श्रीजी की शोभायात्रा निकालते हैं और भगवान का जलाभिषेक करते हैं।
कैसे करें अनंत चतुर्दशी का व्रतanant chaturdashi significance
यह व्रत इस साल Sunday, 23 September को है और इस दिन व्रत के साथ साथ भगवान गणेश का विसर्जन भी किया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है की व्रत का संकल्प और पूजन किसी पवित्र नदी या फिर तलाब के तट पर ही करना चाहिए. कलश पर शेषनाग के ऊपर लेटे भगवान विष्णु जी की मूर्ति या फोटो स्थापित कर सकते हैं. भगवन श्री विष्णु जी के सामने चौदह गांठों वाला अनंत डोरा को एक जल पत्र खीरा से लप्पेट कर ऐसे घुमाएं. कहते हैं की इसी तरह समुद्र मंथन किया गया था, जिससे अनंत भगवान मिले थे. मंथन के बाद इस मंत्र का उचारण करे ॐ अनंतायनम: मंत्र से भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की पूरी विधि से पूजा करें. पूजा के बाद अनंत सूत्र को मंत्र पढ़ने के बाद पुरुष अपने दाहिने हाथ में और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें.
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पहली बार कब हुई थी अनंत पूजा
यह माना जाता है की जब महाभारत में पाण्डव अपना सारा राज-पाट जुवे में हारकर वनवास के दौरान में कष्टदायक जीवन व्यतीत कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डवों को अनंत चतुर्दशी का व्रत करने को कहा था. तब धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने सभी भाइयों एवं द्रौपदी के साथ पूरे विधि-विधान के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत किया. कहा जाता है की इस Anant Chaturdasi अनंत चतुर्दशी का व्रत करने का बाद पाण्डव पुत्र एवं द्रौपदी सभी संकटो से मुक्त हो गए.