
Vat Savitri Puja 2018 in hindi
History of Vat Savitri vrat
Vat Savitri vrat- ज्योतिष व् ग्रंथो के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष को मनाया जाता है. वट सावित्री व्रत Vat Savitri vrat इस वर्ष 15 मई 2018 गुरुवार को मनाया जाएगी. वट पूर्णिमा को वट सावित्री भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लेकर आई थीं. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु अथवा मनोकामना एवम संतान प्राप्ति के लिए करती है. इस साल शनि जयंती व स्नान, दान अमावस्या भी हैं. यह व्रत भारत में वट सावित्री आदर्श इस्तारियो का प्रतीक माना जाता है|
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व्रत की जानकारी -Vat savitri puja 2018 date
यह व्रत Vat Savitri vrat हर साल औरते अपने घर की सुख शांति के लिए किया करती है| इस व्रत को जो रखता है, उसे मन चाहा वर मिलता है| और जो विवाहिक है उन की हर मनोकामना पूरी होती है| (Vyt Savitri vrat )यह व्रत बहुत बड़ा व्रत में से एक है, जो की विवाहिक औरत को रखना चाइये | आइये जानते है इस व्रत से जुडी कहानी क्यों यह व्रत इतना महान माना गया है| और इस व्रत को रखने से क्या लाभ मिलते है |
Vat Purnima in Hindi 2018–
कैसे पड़ा व्रत का नाम वट सावित्री व्रत ?
इस व्रत का नाम सावित्री के नाम पर पड़ा क्यों की सावित्री जो की एक राजा की बेटी थी वो अपने पति के प्राणों की रक्षा के लिए यमराज से लड़ी थी।और वट का अर्थ है बरगद एक पेड़ है जहा पर सावित्री ने अपने पति के प्राण वापस लाए थे। सावित्री एक सुंदर और समझदार कन्या थी। वो जानती थी जो वो वर चुन रही है उस की आयु लम्बी नही है| उस दिन से उसने अपने पति के लिए व्रत करना शुरू कर दिया। जब उस के पिता ने उसे खुद वर चुनने को कहा तो वो वर कोज्ती हुई वान जा पहुची और उस ने वहा सत्यवान को देखा जो अपने अंधे माता-पिता को अपने कंधों पर लेकर जा रहे थे| इस पर मुग्ध होकर सावित्री ने सत्यवान से विवाह कर लिया।
Vat Savitri Puja Vidhi
सावित्री व्रत की पूजा विधि- वट सावित्री व्रत 2018
Vat Savitri vrat – शादीशुदा महिलाएं व् जिन्ह की शादी होने वाली है या जो मन चाहा वर कहते है वो इस दिन सावित्री को देवी की पूजा करते हैं। इस दिन जो भी महिलाएं व्रत रखती है वो सुबह जल्दी उठ कर सबसे पहले नहा कर नए लाल जोड़े पहनती हैं| और वो दुलहन की तरह श्रृंगार करती हैं जो एक सुहागन के लिए आवश्यक होता है। जरुरी होता है बरगद के पेड़ का पत्ता जो की महिला को लेकर अपने बालों में लगाना चाइये हैं। और तरह के फल और फूल से सावित्री देवी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही दाल, चावल, आम, केला से भी पूजा की जाती है और फर सावित्री की कथा पढ़ती और सुनती हैं। फिर उसके बाद उन फलों का प्रसाद लेती हैं।यह व्रत महिला अपने पति की सेहत व् लम्बी आयु के लिए और कामयाबी के लिए रखती है|
मान्यताएं, महत्व -वट सावित्री पूजा सामग्री
वट सावित्री व्रत Vat Savitri vrat में महिलाएं 108 बार बरगद की परिक्रमा कर पूजा करती हैं| कहते हैं और अगर यह हर गुरुवार को किया जाए तो बेहद फलदायक होता है| जैसा की आपको पता होगा कि सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे ही अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस ले लिया था| और हिंदू पुराण में बरगद के पेड़े में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास बताया जाता है. मान्यता के अनुसार ब्रह्मा वृक्ष की जड़ में, विष्णु इसके तने में और शिव उपरी भाग में रहते हैं| यही वजह है कि यह माना जाता है कि इस पेड़ के नीचे बैठकर पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है| और इस दिन वट वृक्ष की पूजा करने के बाद ही सुहागन को जल और प्रशाद ग्रहण करना चाहिए|
पूजा का तरीका- वट पूर्णिमा
पूजा करने का जब तक सही तरीका न पता हो वो व्रत वर्त नही माना जाता इस लिए आज हम आपको बताएगे की मान्यता के अनुसार इस दिन विवाहित महिलाएं को वट वृक्ष पर जल अर्पण करना चाइये| और हल्दी का तिलक, सिंदूर और चंदन का लेप लगाना चाइये| इस व्रत के पूजन के दौरान पेड़ को फल-फूल अर्पित करने की भी मान्यता है| फर व्रत के दोरान घर में गंगाजल से पवित्र करना चाइये जिस से घर में आए हुए नगतिविटी दूर होती है और सुख और शांति का वता वरण रहेता है| और उस के पछता अगर किसी की नए शादी हुए है| तो उन्हें व्रत के दोरान पंडत को भोजन भी करवाना चाइये| ब्रह्माजी के बाईं ओर सावित्री तथा दूसरी ओर सत्यवान की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। इसके बाद टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रख देना चाहिए।
Vat Purnima scientific reason
इसके पश्चात सावित्री व सत्यवान का पूजन कर, वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए। पूजन के समय जल, मौली, रोली, सूत, धूप,लाल कपड़ा आदि चने का इस्तेमाल करना चाहिए। सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर तीन बार परिक्रमा कर सावित्री व सत्यवान की कथा सुने। इसके बाद टोकरी को वट वृक्ष के नीचे ले जाकर रख देना चाहिए। इसके पश्चात सावित्री व सत्यवान का पूजन कर, वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए। पूजन के समय जल, मौली, रोली, सूत, धूप, चने का इस्तेमाल करना चाहिए। सूत के धागे को वट वृक्ष पर लपेटकर तीन बार परिक्रमा कर सावित्री व सत्यवान की कथा सुने। पूजन समाप्त होने के बाद वस्त्र, फल आदि का बांस के पत्तों में रखकर दान करना चाहिए और चने का प्रसाद बांटना चाहिए।
Vat purnima pooja
इस बार वट सावित्री Vat Savitri vrat की पूजा का मुहूर्त 8 जून शाम 4.15 से लेकर 9 जून शाम 6.30 बजे तक है। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक है और इंग्लिश कैलेंडर के अनुशार यह 15 मई 2018 को है| यह पूजा ज्येष्ठ के महीने में पूर्णिमा वाले दिन होती है। इस दिन यह त्योहार पश्चिम भारत के गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक में मनाया जाता है। इस दिन शादीशुदा महिलाएं व्रत रखती हैं और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। इसके साथ ही लाल धागा लेकर वट के पेड़ यानी बरगद के पेड़ पर बांधते हुए 108 चक्कर लगाती हैं। और उस के बाद वह पति का आशीर्वाद ले कर पानी पीती है और पूजा में चढ़ाया हुआ प्रसाद को दुसरो में देती है और उन से अपना व्रत खोलती है|