ravan sanhita (रावण संहिता):
महापंडित रावण को हम सभी रामायण (ramayan) के नकरात्मक पात्र मानते है, हम यह तो जानते है की माता सीता का हरण कर रावण ने अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल करी थी जिसकी वजह से रावण को अपनी जान तक गवानी पड़ी थी
परन्तु वास्तविकता में रावण यह जानता की श्री राम भगवान विष्णु के अवतार है तथा यदि उनके हाथो किसी मनुष्य की मृत्यु हो तो उसे वैकुंठ धाम की प्राप्ति निश्चित है. अपने पुरे परिवार के उधार के लिए उसने जानबुझ कर श्री राम से शत्रुता मोल ली थी.
असुरो का सम्राट होने के बावजूद भी रावण एक महाज्ञानी पंडित तथा शास्त्रो में पारंगत था. सौरमंडल के सम्पूर्ण ग्रह रावण के इशारों पर चला करते थे, कोई भी ग्रह रावण के विरुद्ध कार्य नहीं कर सकता था.
मेघनाद के जन्म के पूर्व जब वह अपनी माता मंदोदरी के गृभ में था तब रावण ने उसे अमर बनाने के लिए सभी नक्षत्रों को एक स्थिति में ला दिया था.
सभी ग्रहों ने रावण के निर्देशानुसार कार्य किया परन्तु आयु के कारक कहे जाने वाले शनि देव ने अपना स्थान बदल लिया. इसी कारण मेघनाद यशस्वी, पराक्रमी, अविजित योद्धा होने के बावजूद अल्पायु का हो गया.
रावण ने खगोलविज्ञान और ज्योतिष विज्ञान में महारथ हासिल की थी, साथ ही वह तंत्र का भी ज्ञाता था. अपने ज्ञान को उसने रावण संहिता में संरक्षित किया था, जिसके सिद्धांतों को आज भी स्वीकारा जाता है.
आज हम आपको रावण संहिता(ravan sanhita) के कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे है जिसको अपनाकर आप अपने भाग्य को चमका सकते है.